Ruchi negi : वन विभाग में भ्रष्टाचार से लेकर विभागीय अनियमिताओं के मामले दिन प्रतिदिन उजागर हो रहे है। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी अधिकारी सीबीआई और ईडी की रडार पर हैं। अब यह बात सामने आ रही है कि एक और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी कार्रवाई/जांच के दायरे में आ सकते हैं। यह अधिकारी हैं मनोज चंद्रन, जिन पर विभाग में पदोन्नति और नियमितीकरण के मामले में मानकों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि इन आरोपों को लेकर मनोज चंद्रन को चार्जशीट थमाई जा रही है। पत्रावली पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अनुमोदन प्राप्त हो जाने के बाद सीएम कार्यालय ने इसे शासन में प्रमुख सचिव को भेज दिया है।
दरअसल, साल 2018 में वन विभाग की नियमावली में वन दरोगा के पदों को लेकर विशेष संशोधन किया गया था। इसमें एक तिहाई पद सीधी भर्ती, जबकि दो तिहाई पद प्रमोशन के माध्यम से भरे जाने का प्राविधान किया गया था। वन दरोगा के करीब 1729 पदों के सापेक्ष मानक के अनुसार एक तिहाई और दो तिहाई अनुपात पद भरने के लिए अपनाया जाना था। आरोप है कि आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन ने मुख्य वन संरक्षक (मानव संसाधन) पद पर रहते हुए कुल पदों की संख्या की जगह खाली पदों के मुताबिक अनुपात तय कर दिया। जिसके चलते सीधी भर्ती से कम और प्रमोशन से अधिक पद भर लिए गए। इसके साथ ही मनोज चंद्रन पर कर्मचारियों को नियमों के विपरीत नियमित करने का भी आरोप है। आरोप है कि कोर्ट की रोक के बावजूद विभाग में श्रमिकों को वन आरक्षी (फारेस्ट गार्ड) पद पर नियमित कर दिया गया था।
आईएफएस अधिकारी ने दिया जवाब
यह बात भी सामने आ रही है कि मनोज चंद्रन से शासन की ओर से जवाब तलब किए जाने के बाद उन्होंने अपना जवाब दिया है। जिसमें उन्होंने कहा कि नियमितीकरण को लेकर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में आयोजित की गई बैठक में निर्णय लिया गया था। साथ ही उन्होंने वन दरोगा भर्ती में नियमों के मुताबिक कार्रवाई किए जाने की बात जवाब में दर्ज की है।
वन मंत्री ने भी अपनाया कड़ा रुख
वन विभाग में व्याप्त अनियमितता को लेकर वन मंत्री सुबोध उनियाल भी कडा रुख अपनाए हुए हैं। उनका कहना है कि वन विभाग में सर्विस रूल्स का उल्लंघन किया गया है। प्रमोशन और नियमितीकरण से जुड़ी पत्रावली पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। जल्द ही चार्जशीट जारी की जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।